पंच बद्री मन्दिर
श्री बदरी नारायण-

आदि बदरी-

वृद्ध बदरी-

योग-ध्यान बदरी-
योग-ध्यान बदरी मंदिर जोशीमठ से 22 किमी दूर पांडुकेश्वर गाँव में समुद्र तल से 1920 मीटर ऊपर स्थित है। योगध्यान बद्री, जिसे योग बद्री भी कहा जाता है । मान्यता है कि पांडवों के पिता – राजा पांडु भगवान विष्णु का ध्यान करने के लिए भगवान ने दो संभोग हिरणों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए योगध्यान बद्री गए थे | माना जाता है कि पांडु ने योगध्यान बद्री मंदिर में विष्णु की कांस्य प्रतिमा स्थापित की थी। छवि एक ध्यान मुद्रा में है और इस प्रकार छवि को योग-ध्यान बद्री कहा जाता है। मूर्ति शालिग्राम पत्थर से तराशी गई है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध में अपने चचेरे भाइयों कौरवों को हराने और मारने के बाद पांडव पश्चाताप करने के लिए यहां आए थे। उन्होंने अपने पोते परीक्षित को हस्तिनापुर का राज्य सौंप दिया और हिमालय में तपस्या करने चले गए।
योग-ध्यान बदरी मंदिर जोशीमठ से 22 किमी दूर पांडुकेश्वर गाँव में समुद्र तल से 1920 मीटर ऊपर स्थित है। योगध्यान बद्री, जिसे योग बद्री भी कहा जाता है । मान्यता है कि पांडवों के पिता – राजा पांडु भगवान विष्णु का ध्यान करने के लिए भगवान ने दो संभोग हिरणों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए योगध्यान बद्री गए थे | माना जाता है कि पांडु ने योगध्यान बद्री मंदिर में विष्णु की कांस्य प्रतिमा स्थापित की थी। छवि एक ध्यान मुद्रा में है और इस प्रकार छवि को योग-ध्यान बद्री कहा जाता है। मूर्ति शालिग्राम पत्थर से तराशी गई है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध में अपने चचेरे भाइयों कौरवों को हराने और मारने के बाद पांडव पश्चाताप करने के लिए यहां आए थे। उन्होंने अपने पोते परीक्षित को हस्तिनापुर का राज्य सौंप दिया और हिमालय में तपस्या करने चले गए।
भविष्य बद्री मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक एवम् पवित्र मंदिर है जो जोशीमठ- लाता-मलारी मार्ग पर जोशीमठ से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन (चार किमी पैदल मार्ग) के आस-पास घने जंगलों के बीच में स्थित है यह मंदिर समुद्रतल से 2744 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है । भाविष्य बद्री का शाब्दिक अर्थ होता है "भविष्य की बद्री"। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जोशीमठ मैं भगवान नरसिंह की मूर्ति है जिसका हाथ पतला होता जा रहा है जिस दिन यह हाथ टूट कर गिर जायेगा, उस दिन नर नारायण पर्वत आपस मैं मिल जायेंगे फिर बद्रीनाथ जाने का मार्ग बंद हो जायेगा और नए स्थान (भविष्य बद्री ) पर बद्रीनाथ के दर्शन होंगे ।
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